Monday, 18 August 2014

Top 10 Boarding school in india

Sending your child to a boarding school can be a tough decision, but it can make a big difference in the academic life and career of your loved one. Students who are brought up at a boarding school are totally prepared for a university life, and most of them end up attending some of the finest universities across the globe. At a boarding school, your child develops a sense of responsibility and discipline, he or she stays away from your family problems, and everything that he or she does has an academic touch to it. If you are looking for the best boarding school in India for your child, then this list will prove to be of great help:

1.    The Doon School, Dehradun, Uttaranchal: This is a boys only boarding school, equipped with 5 hostels, library, music and multimedia facilities, 24-bed hospital, squash court, swimming pool and a soccer/hockey field. The school has a Teacher/Student ratio of 1:10. Admissions are made to classes VII and VIII only, based on an entrance test conducted on 1st Nov every year. You can register one month before the date of exam. Annual fee is approximately Rs. 4,00,000.

2.    Mayo College, Ajmer, Rajasthan: This is a boys only boarding school, equipped with 4 hostels, yoga therapy center, huge museums housing priceless antiques and pieces, armory section and societies for cultural, literary and social development. Admissions are made in IV class, based on an entrance test conducted in 3rd week of November. Annual fee turns out to be approximately Rs. 2,00,000.

  3.  Bishop Cotton School, Shimla, Himachal Pradesh: This is also a boys only school, equipped with all modern facilities including house tutors for every hostel, basketball and tennis courts, photography club, nature club, and special training programs for rock climbing and mountaineering. Admissions are made into III, IV and V classes, depending on the child’s score in an entrance test. Annual fee is approximately Rs. 1,45,000.

  4.  Rishi Valley School, Chittoor, Andhra Pradesh: This is a co-ed school, housing 20 hostels, with separate ones for older students. Special study material is available for students with slow learning problem. Levels fields and courts are constructed for gaming lovers. The school term starts on June 15 every year, and you have to apply before the last December 15. Admissions are made on the basis of the child’s past academic performance, talent and character. Annual fee is approximately Rs. 1,50,000.

5.    St. John’s International Residential School, Chennai: This is also a co-ed school, featuring air-conditioned hostels, separate for boys and girls. Admissions are made in at least IV class, based on an entrance test conducted in January and May. Annual fee is around Rs. 2,10,000.

6.    Welham Girls School, Dehradun, Uttaranchal: This is a girls only school, with separate hostels for junior and senior girls. Special remedial classes are available for weak students. The school has a student/teacher ratio of 10:1. The school features 3 badminton, 4 basketball and 2 tennis courts. You can register your child right after her birth; however, she can be admitted to the school only in V class. Admissions are made on the basis of an entrance exam held in November every year. Annual fee is approximately Rs. 2,45,000.

7.    The Scindia School, Gwalior, Madhya Pradesh: It is a boys school with excellent library and high-end IT facilities. It has 12 hostels, and specialized infrastructure for games and sports. Admissions are made into classes VI, VII, VIII and IX. An all India entrance exam is conducted for admissions into the school, followed by an interview. Annual fee is around Rs. 2,60,000.

8.    The Daly College, Indore, Madhya Pradesh: This is a co-ed school with a hobby center, computer aided learning facilities, cricket, hockey, football and squash grounds and a 30-bed hospital. Admissions are made into IV to IX and XI classes, depending on a common entrance test conducted every year. You have to register before 1st Oct of the preceding year. Annual fee is around Rs. 1,50,000.

9.    St. Paul’s School, Darjeeling, West Bengal: This is a boys only school, with 4 hostels under a house master’s care. Admissions are made on the basis of an entrance test. Annual fee is around Rs. 1,35,000.

10.  Sarala Birla Academy, Bangalore, Karnataka: This is a boys only school, featuring ICT based learning system. The campus features sports facilities, swimming pool, gymnasium, and an 18-bed hospital. Admissions are made into classes V to IX and XI. You can register your child right at the time of birth. Admissions are made into the basis of an entrance test, followed by an interview. Annual fee is around Rs. 4,00,000.

Saturday, 16 August 2014

15 अगस्त १९४७ से अब तक कश्मीर

14 अगस्त 1947 मध्य रात्रि गुलामी की बेड़ियों टूट गई ब्रिटिश साम्राज्यवाद द्वारा उपहार स्वरूप भारत की शक्ति को कमजोर करने के लिये दो नये राष्ट्रों का विश्व पटल पर उदय हुआ “ भारत और पाकिस्तान “ब्रिटिश साम्राज्यवाद सिमटने लगा| दूसरे विश्व युद्ध ने ब्रिटेन को इतना कमजोर कर दिया था वह इस उप महाद्वीप पर शासन करने के लिए असमर्थ हो चुका था , सत्य, अहिंसा और असहयोग के शस्त्र के सामने कमजोर पड़ चुका था| पन्द्रह अगस्त की सुबह सूयोदय के साथ नव प्रभात लाई | यह नव प्रभात क्या सुख कारी था ?लाखों लोग घर से बेघर अनिश्चित भविष्य की खोज में काफिले के काफिले हिन्दोस्तान की और चलने के लिए मजबूर कर दिए गये थे कुछ लोग जो कभी अपने घर के पास के शहर के अलावा कहीं नहीं गये थे वह नही जानते थे अब उनका घर कहाँ बसेगा अपना सब कुछ छोड़ कर काफिले के काफिले हिन्दोस्तान की और चल पड़े | बेहालों को बसाना आसन नहीं था|अंत में कटी हूई लाशों से भरी रेलगाड़ियों आने लगीं|इधर भारत की और से भी मुस्लिमों के साथ यही प्रतिक्रिया होने लगी | लगभग १० लाख लोगों की हत्या हूई |
३ जून १९४७ के प्लान के अनुसार हिंदुस्तान और पाकिस्तान (पूर्वी पाकिस्तान जो आज बंगला देश के नाम से सम्प्रभु राष्ट्र है ) दो राष्ट्रों का निर्माण होगा और आजादी के दिन से ब्रिटिश साम्राज्य में विलीन रियासते भी आजाद हो जाएँगी वह चाहें तो आजाद रह सकतीं हैं या हिन्दुस्तान या पाकिस्तान में विलय कर सकती हैं| रियासतों का विलय कराना आसन नहीं था परन्तु सरदार पटेल के प्रयत्नों से जूनागढ़ , हैदराबाद और जम्मू कश्मीर को छोड़ कर ५२९ रियासतों ने भारत में विलय स्वीकार कर लिया ,सख्ती के बाद जूनागढ़ और हैदराबाद का भी भारत में विलय हो गया लेकिन काश्मीर की भौगोलिक स्थिति के कारण एंग्लो अमेरिकन ब्लाक की उस पर नजर थी | माउन्टबेटन चाहते थे कश्मीर या तो पाकिस्तान के साथ जाये या स्वतंत्र रहे माउन्टबेटन की रुचि कश्मीर के गिलगित प्रदेश में थी यह एरिया उनकी नजर में roof of the world था यह पांच राष्ट्रों की सीमाओं के बीच का क्षेत्र था यहाँ सोवियत लैंड ( अब वारसा पैक्ट के सदस्य सोवियत लैंड से अलग हो गये हैं ),चीन ,अफगानिस्तान ,भारत और पाकिस्तान की सीमाए मिलती थी | यहाँ केंद्र बना कर पांच राष्ट्रों पर निगाह रखी जा सकती थी |यही भगौलिक स्थिति पाकिस्तान की है| पाकिस्तान की सीमा ईरान के प्रदेश जाह्दान से भी मिलती है |
माउन्टबेटन जानते थे राजा हरिसिंह हिन्दू डोगरा राजा होने के नाते कभी भी पाकिस्तान के साथ विलय नहीं करेगे ,अत: राजा हरिसिंह के विचारों को बदलने के लिए वह स्वयं कश्मीर गये वह राजा को मजबूर करना चाहते ,उन्हें भारत या पाकिस्तान में से किसी के साथ विलय स्वीकार कर लेना चाहिए वह अपनी सलाह अकेले में महाराज को दे कर उन्हें अपने अनुसार बदलना चाहते थे ,यदि महाराज ने विलय स्वीकार नहीं किया तो वह सत्ता परिवर्तन के बाद वह मुश्किल में पड़ सकते हैं महाराजा उनसे मिलना नहीं चाहते थे|अत: उन्होंने बहाना किया वह बीमार हैं और बिस्तर पर हैं,उनके द्वारा बुलाई मीटिंग में आने में असमर्थ हैं माउंट बैटन का महाराजा पर पाकिस्तान में विलय करने का बहुत दबाब था वह निश्चय नहीं कर पाए कि क्या करें २१ अक्टूबर को ५००० कबायली लड़ाके, पाकिस्तान के नार्थ वेस्ट फ्रंटियर के सैनिक थे कश्मीर की और प्रस्थान कर गये और श्री नगर से केवल ३५ किलो मीटर की दूरी पर रह गये कश्मीर सरकार ने भारत से जल्दी मदद की गुहार लगाई सैनिक सहायता मांगी, अब माउन्ट बेटन का खेल शुरू हो गया उसने कहा कश्मीर एक आजाद देश है हम कैसे दखल दे सकते हैं अत: पहले कश्मीर भारत में विलय के लिए अपनी सहमती दे | उसी समय कृष्णा मेनन कश्मीर के लिए प्लेन से रवाना हो गये वह वहाँ के पूरे हालत का जायजा ले कर साथ ही महाराजा का accession letter जिस पर उनके हस्ताक्षर थे लेकर अगले ही दिन दिल्ली पहुंच गये इस पत्र के साथ शेख अब्दुल्ला की सहमती भी थी शेख साहब कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस ,कश्मीर का सबसे बड़ा दल था के प्रेसिडेंट थे |सरदार पटेल बहुत बेचैन थे| पत्र प्राप्त करते ही वह डिफेंस कमेटी की मीटिंग जो २६ अक्टूबर की शाम को होनी थी पहुंच गये | अगले दिन ही मिलिट्री और सैन्य सामान श्री नगर के लिए रवाना कर दिया गया अब भी माउन्ट बेटन इस इंतजार में थे किसी तरह देर हो जाये पकिस्तानी सेना श्रीनगर पर कब्जा कर ले वह चाहते थे इस विलय को कंडीशनली स्वीकार किया जाये जैसे ही शन्ति स्थपित हो जनता की राय के नाम पर मामले को उलझाया जाये | नेहरू जी कश्मीर की समस्या को स्वयं सुलझाना चाहते थे अत: उन्होंने माउन्टबेटन के सुझाव को मान लिया | नेहरु जी पूरी तरह माउन्ट बेटन के प्रभाव में थे अत: सरदार पटेल यहाँ कुछ नहीं कर सकते थे भारतीय सेना ने जैसे ही कश्मीर में पांव र

Thursday, 14 August 2014

15 अगस्त

ज़रा याद करो कुर्बानी…

आजादी कहें या स्वतंत्रता ये ऐसा शब्द है जिसमें पूरा आसमान समाया है। आजादी एक स्वाभाविक भाव है या यूँ कहें कि आजादी की चाहत मनुष्य को ही नहीं जीव-जन्तु और वनस्पतियों में भी होती है। सदियों से भारत अंग्रेजों की दासता में था, उनके अत्याचार से जन-जन त्रस्त था। खुली फिजा में सांस लेने को बेचैन भारत में आजादी का पहला बिगुल 1857 में बजा किन्तु कुछ कारणों से हम गुलामी के बंधन से मुक्त नही हो सके। वास्तव में आजादी का संघर्ष तब अधिक हो गया जब बाल गंगाधर तिलक ने कहा कि “स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है”।

अनेक क्रांतिकारियों और देशभक्तों के प्रयास तथा बलिदान से आजादी की गौरव गाथा लिखी गई है। यदि बीज को भी धरती में दबा दें तो वो धूप तथा हवा की चाहत में धरती से बाहर आ जाता है क्योंकि स्वतंत्रता जीवन का वरदान है। व्यक्ति को पराधीनता में चाहे कितना भी सुख प्राप्त हो किन्तु उसे वो आन्नद नही मिलता जो स्वतंत्रता में कष्ट उठाने पर भी मिल जाता है। तभी तो कहा गया है कि

पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।

जिस देश में चंद्रशेखर, भगत सिंह, राजगुरू, सुभाष चन्द्र, खुदिराम बोस, रामप्रसाद बिस्मिल जैसे क्रान्तिकारी तथा गाँधी, तिलक, पटेल, नेहरु, जैसे देशभकत मौजूद हों उस देश को गुलाम कौन रख सकता था। आखिर देशभक्तों के महत्वपूर्ण योगदान से 14 अगस्त की अर्धरात्री को अंग्रेजों की दासता एवं अत्याचार से हमें आजादी प्राप्त हुई थी। ये आजादी अमूल्य है क्योंकि इस आजादी में हमारे असंख्य भाई-बन्धुओं का संघर्ष, त्याग तथा बलिदान समाहित है। ये आजादी हमें उपहार में नही मिली है। वंदे मातरम् और इंकलाब जिंदाबाद की गर्जना करते हुए अनेक वीर देशभक्त फांसी के फंदे पर झूल गए। 13 अप्रैल 1919 को जलियाँवाला हत्याकांड, वो रक्त रंजित भूमि आज भी देश-भक्त नर-नारियों के बलिदान की गवाही दे रही है।

आजादी अपने साथ कई जिम्मेदारियां भी लाती है, हम सभी को जिसका ईमानदारी से निर्वाह करना चाहिए किन्तु क्या आज हम 66 वर्षों बाद भी आजादी की वास्तिवकता को समझकर उसका सम्मान कर रहे है? आलम तो ये है कि यदि स्कूलों तथा सरकारी दफ्तरों में 15 अगस्त न मनाया जाए और उस दिन छुट्टी न की जाए तो लोगों को याद भी न रहे कि स्वतंत्रता दिवस हमारा राष्ट्रीय त्योहार है जो हमारी जिंदगी के सबसे अहम् दिनों में से एक है ।

एक सर्वे के अनुसार ये पता चला कि आज के युवा को स्वतंत्रता के बारे में सबसे ज्यादा जानकारी फिल्मों के माध्यम से मिलती है और दूसरे नम्बर पर स्कूल की किताबों से जिसे सिर्फ मनोरंजन या जानकारी ही समझता है। उसकी अहमियत को समझने में सक्षम नही है। ट्विटर और फेसबुक पर खुद को अपडेट करके और आर्थिक आजादी को ही वास्तिक आजादी समझ रहा है। वेलेंटाइन डे को स्वतंत्रता दिवस से भी बङे पर्व के रूप में मनाया जा रहा है।

आज हम जिस खुली फिजा में सांस ले रहे हैं वो हमारे पूर्वजों के बलिदान और त्याग का परिणाम है। हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि मुश्किलों से मिली आजादी की रुह को समझें। आजादी के दिन तिरंगे के रंगो का अनोखा अनुभव महसूस करें इस पर्व को भी आजद भारत के जन्मदिवस के रूप में पूरे दिल से उत्साह के साथ मनाएं। स्वतंत्रता का मतलब केवल सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता न होकर एक वादे का भी निर्वाह करना है कि हम अपने देश को विकास की ऊँचाइयों तक ले जायेंगें। भारत की गरिमा और सम्मान को सदैव अपने से बढकर समझेगें। रविन्द्र नाथ टैगोर की कविताओं से कलम को विराम देते हैं।

हो चित्त जहाँ भय-शून्य, माथ हो उन्नत
हो ज्ञान जहाँ पर मुक्त, खुला यह जग हो
घर की दीवारें बने न कोई कारा
हो जहाँ सत्य ही स्रोत सभी शब्दों का
हो लगन ठीक से ही सब कुछ करने की
हों नहीं रूढ़ियाँ रचती कोई मरुथल
पाये न सूखने इस विवेक की धारा
हो सदा विचारों ,कर्मों की गतो फलती
बातें हों सारी सोची और विचारी
हे पिता मुक्त वह स्वर्ग रचाओ हममें
बस उसी स्वर्ग में जागे देश हमारा।

स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व पर सभी पाठकों को हार्दिक बधाई।

जय भारत