Sunday, 1 November 2015

पुरस्कार लौटने वाले की सच

पुरस्कार तो लौटेंगे ही
अब गीता पढ़ने वाला पीएम जो मिला है।
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पुरस्कार तो लौटेंगे ही
पाकिस्तान में मोदी हाय हाय जो मचा हुआ है।
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पुरस्कार तो लौटेंगे ही
क्योंकि
अब राष्ट्रपति भवन में रोज़ा इफ़्तार के साथ नवरात्री का कन्या पूजन भी जो हो रहा है।

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पुरस्कार तो लौटेंगे ही
जो इस देश का पीएम जाकर अरब में मंदिर बनवा रहा है।
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पुरस्कार तो लौटेंगे ही
जो इस देश का पीएम विदेशों में भी भगवा धारण कर रहा है।
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पुरस्कार तो लौटेंगे ही
जो आज मोदी की वजह से विश्व योगा दिवस मना रहा है।
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पुरस्कार तो लौटेंगे ही
जो अब फिर से दूरदर्शन के लोगों में "सत्यम शिवम् सुन्दरम्" अंकित हो गया है।
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पुरस्कार तो लौटेंगे ही
जो आज पूरे देश में गौहत्या रोकने की बात जो हो रही है।
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इंतज़ार करिये।
अभी बहुत पुरस्कार लौटने हैं।
देश जाग जो रहा हैं

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जय हिंद
⛳जय भारत ⛳

ॐॐ
आओ मित्रो जरा साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने के नाम पर हो रही राजनीती से अवगत हुआ जाए।

पहले कुछ तथ्य ।

1) आज तक 1004 लेखको को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है ।

2) जिसमे से 25 लेखको ने ही प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से पुरस्कार लौटाने की बात की है ।जबकि कुछ न्यूज़ चैनल इसे दिखा ऐसे रहे है।जैसे कितनी बड़ी त्रासदी आ गयी हो ।

3) 25 लेखको में से भी केवल 8 ने ही पुरस्कार लौटाने के लिए अकादमी को चिठ्ठी लिखी है ।बाकि ने तो सिर्फ चैनलों के माध्यम से बात ही कही है लौटाने की ।जैसे धमका रहें हो।

4) 8 में से भी केवल 3 ने ही 1 लाख रुपये का चेक लौटाया है जो पुरस्कार के साथ मिलता है ।

अब जरा ये जानने का प्रयास किया जाये के इस पुरस्कार को लौटाने का कारण क्या है ।
लेखको के अनुसार जबसे केंद्र में ये सरकार बनी है ।तब से देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ा है । क्या ये सच है । देखते हैं ।

साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाले लेखक तथा उनका सत्य ।

1) नयनतारा सहगल

   जवाहर लाल नेहरू की भांजी
पुरस्कार मिला 1986 में
सवाल - क्या पुरस्कार पाने के 29 वर्षों में भारत में राम राज्य था ।
1984 के दंगों में 2800 सिख मरे और केवल 2 साल बाद ही पुरस्कार मिला पर लौटाने के बजाय चुपचाप रख लिया ।

2) उदय प्रकाश
वर्ष 2010 में साहित्य पुरस्कार मिला

सवाल - वर्ष 2013 में डाभोलकर की हत्या के बाद पुरस्कार क्यों नहीं लौटाया ।

3) अशोक वाजपेयी
वर्ष 1994 में पुरस्कार मिला ।

सवाल - क्या वर्ष 1994 से वर्ष 2015 तक देश में राम राज्य था ।

4) कृष्णा सोबती
वर्ष 1980 में पुरस्कार मिला ।

सवाल - वर्ष 1984 के सिख दंगो के वक़्त भावनाएँ आहत क्यों नहीं हुईं ।

5) राजेश जोशी
वर्ष 2002 में पुरस्कार मिला

सवाल - क्या इतने वर्षों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाये नहीं हुईं ।

आइये अब कुछ और तथ्य जानें ।

वर्ष 2009 से लेकर वर्ष 2015 तक सांप्रदायिक हिंसा की 4346 घटनायें हुईं।

मतलब वर्ष 2009 से लेकर प्रति दिन औसतन सांप्रदायिक हिंसा की 2 घटनाये हुईं।

वर्ष 2013 के मुज्जफरनगर दंगो में 63 लोगो की जान गयी।

वर्ष 2012 के असम दंगो में 77 लोग मारे गए ।

वर्ष 1984 के सिख दंगो में 2800 लोग मारे गए थे ।

वर्ष 1990 से कश्मीरी पंडितों की 95 प्रतिशत आबादी को कश्मीर छोड़ना पड़ा था ।करीब 4 लाख कश्मीरी पंडितों को उनके घरों से निकाल दिया गया और उन्हें देश के अन्य शहरो में रहने को मजबूर होना पड़ा ।

अगस्त 2007 हैदराबाद में लेखिका तस्लीमा नसरीन के साथ बदसलूकी की गयी । और उसके खिलाफ फतवा जारी किया गया । और कोलकाता आने से भी रोका गया ।

वर्ष 2012 सलमान रुश्दी को जयपुर आने नहीं दिया गया ।रुश्दी को वीडियो लिंक के जरिये भी बोलने नहीं दिया गया ।

चलिये अब महत्वपूर्ण प्रश्न

क्या ये लेखक दंगो में अंतर करते हैं ।आखिर इन्हें अचानक दंगो से इतनी परेशानी कैसे हो गयी ।या इसकी वजह कुछ और है।

दाभोलकर की जब हत्या हुई तब केंद्र और राज्य दोनों में कांग्रेस की सरकार थी,
तब कोई साहित्यकार पुरस्कार लौटाने नही आया ।।
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कलबुर्गी की भी हत्या कांग्रेस शाषित राज्य में हुई है ।।

. नयनतारा को साहित्य का पुरस्कार 1986 में मिला,
उससे दो साल पहले सिख दंगा हुआ था पर उन्होंने पुरस्कार लिया ।।

.इसके बाद भागलपुर दंगे हुए ,

कश्मीर में पंडितो का कत्लेआम हुआ ,

93 दंगे और बम विस्फोट हुए ।।

2002 में साबरमती एक्सप्रेस में 65 आदमी औरते बच्चों को जिन्दा जला दिया गया ।।
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उसके बाद से देश भर में कई कत्ले आम और आतंकी घटनाए जैसे...
मुम्बई लोकल में बम विस्फोट ,

संकट मोचन मन्दिर पर हमला ,

अक्षरधाम हमला ,

जम्मू के रघुनाथ मन्दिर पर हमला ,

अमरनाथ मे हमला

मुम्बई में आतंकी हमला हो चूका है

तब किसी ने पुरस्कार नही लौटाया...
क्या तब माहौल खराब नही हुआ था ??
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असली बात ये है की ये सब साहित्यकार के भेष में छुपे कांग्रेस के चाटुकार है जिनको कांग्रेस  ने इसीदिन के लिए पाल कर रखे हुए थे ।। आज ये लोग बस अपने नमक का फर्ज अदा कर रहे है ।।.